जिंदगी प्यार का गीत–७

जिंदगी प्यार का गीत


एंबुलेंस चंडीगढ़ की सड़कों पर दौड़ी जा रही थी, उसके पीछे पीछे रोहन की गाड़ी भी, पर इन सब से तेज दौड़ रहे थे रोहन के ख्याल.....
उसके जेहन में बहुत से सवाल कौंध रहे थे, समझ नही आ रहा था उसकी हंसती खेलती आशु कैसे अचानक इतने कम समय में, क्या हुआ, कैसे हुआ, उसकी तो शादी हो गई थी ना तो फिर सूनी मांग। अचानक उसे याद आया जिस से मिलने आया था उस से तो मिला ही नहीं, तुरंत फोन मिला कर माफी मांगी और कहा की कुछ इमरजेंसी आ गईं तो वो PGI जा रहा है।
सब कुशल है ना, कुछ मदद की जरूरत तो नहीं, सामने से उसके पार्टनर ने पूछा, अरे नहीं नहीं, होगी तो आपको परेशान करूंगा, शुक्रिया जी, मैं करता हूं आपको फोन बाद में।
अब तक एंबुलेंस PGI पहुंच चुकी थी और रोहन भी पीछे पीछे, उसने सामने पार्किंग में गाड़ी को खड़ा किया और लपक कर इमरजेंसी में पहुंच गया।
बच्चे को सीधा ऑपरेशन थिएटर में ले जाया जा रहा था, उसके सर से अभी भी खून रिस रहा था, और वो बेहोश ही था।
आशु एडमिशन काउंटर पर फॉर्म भर रही थी। थोड़ी देर में एक नर्स अंदर से निकल कर आई और पूछा, वो एक्सीडेंट वाले बच्चे के साथ कौन है। आशु और रोहन एक साथ बोले, जी... मैं हूं।
आप बच्चे के पिता हैं, नर्स ने पूछा।
हां.... नहीं...… ये बच्चे की मां हैं और मैं इनका दोस्त, कहिए क्या बात है। आशु खामोश खड़ी थी।
बच्चे का ऑपरेशन करना पड़ेगा, आप लोग कंसेंट फॉर्म भर दो और एक यूनिट खून भी देना होगा। ब्लड लॉस ज्यादा हो गया है।
रोहन ने आशु को बोला तुम कंसेंट फॉर्म भरो, चिंता मत करो सब अच्छा होगा।
चलिए नर्स ब्लड कहां देना होगा।
आप आइए मेरे साथ, नर्स ने रोहन को इशारा किया।
जाते जाते रोहन ने अपना पर्स निकाल कर आशु को दे दिया। तुम ये रखो, अगर कुछ पैसा जमा करना पड़े तो निकाल लेना, झिझकना मत, मैं ब्लड डोनेट कर के आता हूं।
आशु उसे जाते हुए देखती रही, कितना बदलाव आ गया रोहन में। कभी बलिष्ठ और किसी जिमनास्ट सा उसका बदन काफी स्थूल हो गया था, हल्की सी तोंद भी निकल आई थी, कनपटियों के पास बालों में भी हल्की सफेदी आ गई थी और उसकी चिरपरिचित मुस्कान लगता था कहीं खो सी गई थी। वो पर्स को संभाल कर अपने बैग में रख ही रही थी की अचानक पर्स हाथ से गिर गया, और खुल गया, पर्स को उठाने झुकी तो एक तस्वीर दिखी सोचा शायद उसकी पत्नी की होगी, देख कर दिल को धक्का लगा पर्स के पॉकेट से 6 साल पुराना उसका ही चेहरा झांक रहा था। तो क्या रोहन ने उसको कभी भुलाया ही नहीं, क्या अब भी वो उससे उतना ही प्यार करता है? क्या रोहन ने शादी की या नही? यही सवाल सोचते सोचते उसके कदम काउंटर की तरफ बढ़ चले और काउंटर पर जाकर कंसेंट फॉर्म उसने भर दिया।
फिर वो वहीं पास रखे एक बेंच पर बैठ गई। उसकी नजरें टकटकी लगा कर ऑपरेशन थिएटर को देख रही थी जहां पर एक रक्त रंजित बल्ब इशारा कर रहा था की खतरा अभी टला नहीं है।
सोच कर उसके दिलों दिमाग में एक बर्फ सी लहर उठी, अगर समय पर रोहन न होता तो क्या होता। उसका टूटा फूटा संसार रिहान के सहारे पर ही तो खड़ा था, वरना तो सब कब का बिखर चुका था। अगर रिहान न होता तो शायद वो ही कबकी झील में कूद चुकी होती, सोचते सोचते उसकी आंखों से आंसुओं की धार फिर से बांध तोड़ कर बहने लगी........…
ना जाने कितनी देर तक वो ऐसे ही मूर्तिवत बैठी थी, आंसू सुख चुके थे, आंखें अभी भी लगातार उस लाल बल्ब को एक शून्यता से देखे चली जा रही थी, दिमाग भी न जाने कब सोच सोच कर थक चुका था।
तभी किसी ने उसके कंधे पर हल्के से थपकी दी, चौंक कर पलटी तो सामने रोहन का चेहरा था।
कितनी देर से आया बैठा हूं तुम न जाने कहां खोई थी।
उसने रोहन की तरफ देख कर एक मुस्कान को जबरदस्ती अपने होंठों पर चिपकाया, पर रोहन की नजरों से उसका दर्द छिपा ना रह सका, और फिर एक बार वो फफक फफक कर रो पड़ी।
रोहन को भी समझ नही आ रहा था वो क्या कह कर आशु के आंसू पोंछे, उसे तो उसके बारे में कुछ पता ही नही था। कुछ देर रोने के बाद आशु खुद ही थोड़ा संयत हुई, उसने दुपट्टे के कोने से अपने आंसू पोंछे और फिर से उसकी निगाहें ऑपरेशन थियेटर के दरवाजे पर जम गई मानो वो किसी भी क्षण इस दरवाजे को खोल कर भीतर चली जायेगी।
दोपहर के तीन बजने वाले थे, तभी ऑपरेशन थिएटर का दरवाजा खुला और सफेद गाउन में वरिष्ठ डॉक्टर बाहर निकल कर आए, वो तेज कदमों में चलते हुए बाकी दल को कुछ समझा रहे थे।
उनको आता देख रोहन और आशु खड़े हो गए, डॉक्टर साहब ने पास आकर रोहन के कंधे पर हाथ रखा और कहा, you are lucky, बच गया आपका बेटा, जख्म ज्यादा गहरा नही था, और समय से बच्चा यहां पहुंच गया। Congratulation, आपका बेटा अब खतरे से बाहर है। अभी वो बेहोश है और हमने उसे ICU में भेज दिया है, कुछ 4/5 घंटों में उसे होश आ जायेगा, तब तक ansthisiya का असर रहेगा।
आशु बोली, डॉक्टर क्या मैं अपने बेटे को देख सकती हूं, hmm, अभी नही, ICU के बाहर से ही आप उसे देख सकते हैं।
नर्स के इशारे पर दोनो icu की तरफ चल पड़े, अंदर रिहान पट्टियों से लिपटा बेसुध सो रहा था। उसे देख कर आशु फिर से बेसाख्ता रोने लगी, पर ये आंसू शायद सुकून के आंसू थे। कुछ देर रोने के बाद उसने खुद को संयत किया।
रोहन ने कहा चलो कुछ खा लो तुमने तो शायद सुबह से कुछ नही खाया होगा।
नही मुझे भूख नहीं है, आशु बोली।
अच्छा फिर तुम्हारे साथ मुझे भी भूखा ही रहना पड़ेगा, रोहन बोला।
अच्छा, चलो, तुम कुछ खा लो मैं भी चाय पी लूंगी।
दोनो चुपचाप कैफेटेरिया की ओर बढ़ चले, कैफे में एक कोने की मेज पर आशु को बिठा कर रोहन ऑर्डर देने चला गया, कुछ ही क्षण बाद वापस आया, अरे पर्स तो तुम्हारे ही पास है, देना जरा।
आशु ने उसको उसका पर्स पकड़ाया, पर्स देते वक्त आशु को पर्स में रखे फोटो का ध्यान भी आ गया।
कुछ देर बाद रोहन कुछ सैंडविच और गरम कॉफी के दो प्याले लेकर लौटा।
आशु के चेहरे पर कॉफी देखते ही मुस्कान खेल गई, रोहन को अभी भी याद है उसे चाय से ज्यादा कॉफी पसंद है।
वो बोली, पर तुम तो कॉफी नही पीते थे, कहते थे कड़वी होती है।
हां, अब पता चला जिंदगी ज्यादा कड़वी है, तब से कॉफी मीठी लगने लगी, उसने मुस्कुराते हुए कहा।
उसने एक सैंडविच आशु की तरफ बढ़ा दिया, और खुद भी एक सैंडविच ले लिया।
अच्छा अब बताओ, कैसे गुजरे ये पिछले 6 साल, उसने आशु से पूछा।
नही तुम बताओ तुमने शादी क्यूं नहीं की, आशु उसकी बात काटते हुए बोली।
तुम्हारे बाद कोई तुमंसी मिली ही नही, रोहन ने कहा, और कॉफी सिप करने लगा।
आशु की आंखे एक बार फिर नम हो गई, वो बस एकटक रोहन को देखे जा रही थी.........काश उसने तब अपने दिल की मान ली होती .......…...

क्रमश:

आभार – नवीन पहल – ३०१.१२.२०२१ ❤️💐🌹🙏


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3 Comments

Zakirhusain Abbas Chougule

16-Dec-2021 12:18 AM

Nice

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Swati Sharma

15-Dec-2021 10:19 PM

बहुत सुंदर

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शुक्रिया

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